Share0 Bookmarks 44125 Reads1 Likes
इतना दर्द भरा था वो लहज़ा कि
सुन कर ही आह निकल जाते हैं..
जो ताउम्र साथ निभाने का वादा करते हैं
पता नहीं वो कब आगे निकल जाते है..
कुछ शेरों से मेरा दर्द बयां नहीं होगा
हमारे दिल से गज़लें निकल जाते हैं..
उसके पयाम का इंतजार करते - करते
ख़बर नहीं लगता कि कब दिन निकल जाते हैं..
कितने महरूम हैं वो लोग जो तूझे
नज़र अंदाज़ कर के निकल जाते हैं..
मैं मुंतजिर हूं कि वो गुज़रें कभी इस राह से
और वो हैं कि किसी और राह से निकल जाते हैं..
हम जब भी उसकी गली में सैर पर जा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments