
दिल की तस्कीं के खातिर तेरी तस्वीर देखता हूं में
ख़ुद ही किया था वफ़ा तुझ से ख़ुद ही पशेमांँ हूं में
नशात-ए-मोहब्बत न मिला बा'द-अज़-मर्ग सुकून मिले
कुछ तो बोल सुकून-ए-रिफ़ाक़त से न विदा चाहता हूं में
मुझे सर -ब -सर तेरा होने की चाह हैं शोख़ सितमगर
अपना बना के रख ले मुझे या चाहता तुझसे नज़ात हूं में
दीदा-ए-नम भी देख तुम्हें अहवाल-ए-दिल पता न लगा
जानी क्यूं कद्र होगी हमारी तुम्हारे लिए तो ग़नीमत हूं में
तू काफ़िले में होकर भी तन्हा ही सफ़र किया हैं 'अंकित'
मुझे ऐसे किनारा किया अपनों ने जैसे कि कुदूरत हूं में
पशेमांँ :- पछतावा , नशात-ए-मोहब्बत :- प्यार का सुख , बा'द-अज़-मर्ग :- मरने के बाद , सुकून-ए-रिफ़ाक़त :- मौन , सर -ब -सर :- पुरा का पुरा , शोख़ :- हंसमुख , नज़ात :- छुटकारा, आज़ादी , ग़नीमत :- मुफ्त में पाया धन , दीदा-ए-नम :- आंसू से भरी आंखें , अहवाल-ए-दिल :- दिल की हालात , कुदूरत :- किसी चीज़ पर जमा हुआ मैल
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