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दर्द के सियाह में, कुछ ख्वाहिशों की लाश है।
ग़म मिटाने के लिए, एक चाँद की तलाश है।
वो चेहरे बैठे ढांक के, था जिनसे मेरा वासता।
हो सच में एक सहारा जो, उस शख्स की तलाश है।
वो जिसका होने से मुझे, होने का गुमान हो।
वो हमसफर वो अहल-ए-दिल, उस साथ की तलाश है।
मैं जानता नहीं मुझे, मैं खुद हूँ खुद से अजनबी।
वजूद में खुदी के अब, खुद की भी तलाश है।
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