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हवा में कुछ गूंज सी छाई है.. महक है रजनी की, खिला खिला यह धुंधला समा क्यों हैं.. ख्वाब तिमतिमाता अँधेरे दूर आसमान में, फिर से चांदनी बिखरी हैं आंगन में, सूखे मौसम में एक नमी सा घोल है, अब हरा हरा यह सूखा पतझड़ क्यों है..।।
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