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प्रेम केवल आता है
जाता कहीं नहीं,
और जो गया ही नहीं
वो लौटेगा कैसे?
प्रेम कभी नहीं लौटता
प्रेमी लौटता है,
उस पर तरस खाओ
क्योंकि–
वह तुम्हारे प्रेम/घृणा
किसी का हक़दार नहीं।
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प्रेम केवल आता है
जाता कहीं नहीं,
और जो गया ही नहीं
वो लौटेगा कैसे?
प्रेम कभी नहीं लौटता
प्रेमी लौटता है,
उस पर तरस खाओ
क्योंकि–
वह तुम्हारे प्रेम/घृणा
किसी का हक़दार नहीं।
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