
“तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें”
रज़ा ग़र हो तेरी, अता हम करेगें
हर पल नज़राना पेश करेगें
इश्क़ को भी पशेमान करेगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
चाहे रखना हमें चिलमन में अपने
या छुपा लेना दामन में
गिरफ़्तार कर ही लेना बाहों में
ख़िदमत में तेरी खुद को रखेगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
नज़रबंद रखना या आज़ाद मुझे
तासीर बस तेरी हम रखेगें
डोर एक दिल से जोड़ देंगें
उलझनें कभी आने ना देंगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
रास्तों पर पैर तुम्हें रखने ना देंगें
ख़ुद को ग़लीचा बना देंगें
रख दरमियाँ मेरी रूह का पर्दा
शम्स को तुम्हें छूने ना देंगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
उन गरजते बादलों को कह देंगें
की बिजलियों को समेटे रखना
तेरी नींद को ख़लल ना पड़े
उसकी क़सम उसे दे देंगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
तेरे ख़्वाबों को शरारतें दे देंगें
कुछ वादे, कुछ इरादे
कुछ मुलाक़ातें दे देंगें
ज़ुल्फ़ों को तेरी समेट देंगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
कुछ ख़ास हसीन पल दे देंगें
तसव्वुर रहे क़ामिल मेरा
ऐसी एक सौग़ात दे देंगें
उस चाँद की क़सम
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
अल्फ़ाज़ रख लेना सम्भाल मेरे
अश्क़ तेरे हम रख लेंगें
तेरी एक मुस्कान के ख़ातिर
ज़िंदगी क्या, ख़ुदाई वार देंगें
तुमसे इतनी मोहब्बत करेगें।
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