“देखा है”'s image
Share0 Bookmarks 45492 Reads1 Likes

देखा है


हमनें ताज़ो-तख़्त को पलटते देखा हैं

और पत्थर को ख़ुदा भी बनते देखा हैं,

जीत मेरी तक़दीर की मोहताज़ नहीं,

हमनें समंदर को बारिश बनते देखा है।


हमनें फ़र्श को अर्श पर रखकर देखा है,

ज़िद्दी चट्टानों को महल बनते देखा है,

सुनोज़िस्म में ख़ून नहीं आग़ दौड़ती है,

हमनें चिंगारी को भी आग़ बनते देखा 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts