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“चलतें हैं”

Lalit SarswatLalit Sarswat April 18, 2023
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चलतें हैं


चलो आज एक दरिया पीने हम चलते हैं,

किनारों में बांधउसे हासिल करने चलते हैं,

आसमां झुकाने की कुछ ऐसी बात करते हैं,

ज़मीन पर अपना वज़ूद बनानेहम चलते हैं।


कायनात आज़मानेतूफ़ान से लड़ने चलते हैं,

उस बिखरे वक़्त को बटोरने आज चलते हैं,

नाम पन्नों में दर्ज़ होचलो कुछ ऐसा करते हैं,

उम्मीदों का एक पुल बनाने

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