
Share0 Bookmarks 21 Reads0 Likes
“चलतें हैं”
चलो आज एक दरिया पीने हम चलते हैं,
किनारों में बांध, उसे हासिल करने चलते हैं,
आसमां झुकाने की कुछ ऐसी बात करते हैं,
ज़मीन पर अपना वज़ूद बनाने, हम चलते हैं।
कायनात आज़माने, तूफ़ान से लड़ने चलते हैं,
उस बिखरे वक़्त को बटोरने आज चलते हैं,
नाम पन्नों में दर्ज़ हो, चलो कुछ ऐसा करते हैं,
उम्मीदों का एक पुल बनाने, आज चलते हैं।
ख़ामोशियों की ज़ंजीरों को तोड़ने चलते हैं,
मज़लूम हालातों को बदलने आज चलते हैं,
दर्द ताक़त बने, चलो हम कुछ ऐसा करते हैं,
पोटलियाँ सपनों की कंधों पर रख चलते हैं।
बुझी चिंगारियों को शोला बनाने चलते हैं,
दामन में ख़ुशियाँ को बटोरने आज चलते हैं,
मंज़िल भी छोटी लगे, हैसियत ऊँची करते हैं,
चलो ज़माने को मुट्ठी में भरने, हम चलते हैं।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments