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अलविदा


तमाशबीन इस जहां में

कौन अपना कौन पराया,

ख़ुदगर्ज अपने मतलब के

साथ किसने निभाया।

मंज़र दिखता लूटा हुआ सा

ना मिला हमसाया,

ख़िलाफ़त करें किसकी

इल्ज़ाम सबने लगाया। 


सिहर उठा लहू जब

क़ैद पिंजरे में ख़ुद को पाया,

अश्क़ आँखों में रख

था तुम्हें हंसना सिखाया।

सम्भाला तुम्हें

कँटीली राहों पर 

चलना सिखाया,

लहरों को बांध किनारों पर

तैरना तुम्हें बताया।


कसमसाती ज़िंदगी

साँसें गिनी

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