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हमें प्यार की भाषा नहीं आती अजनबी,
यूँ आँखों से ये बातें बनाया न कीजिए,,
ज़रा नादान हैं हम अभी इश्क़ में सनम,
यूँ सबक इश्क़ के हमें पढ़ाया न कीजिए,,
न रोका कीजिए हमें राहों में इस तरह,
यूँ पकड़ के हाथ हमें सताया न कीजिए,,
पत्थरों के हैं मौसम काँच के हैं रास्ते,
ख़्वाबों के इस शहर में ले जाया न कीजिए,,
"सागर" तुम्हारा है...तो...तुम्हारा ही रहेगा,
यूँ मुहब्बत को सरे-आम दिखाया न कीजिए,,
न कीजिए तारीफ हर बात में हमारी,
महफ़िलों में ग़ज़लें मेरी गाया न कीजिए,,
होता है जिक्र साथ जो तुम्हारा और मेरा,
बेहताशा इस कदर मुस्कुराया न कीजिए,,
सुना मैनें पूछते हैं सब आपसे नाम हमारा,
गुजारिश है साहिब किसी से बताया न कीजिए,,
हम डरते हैं बदनाम हो जाने से जरा,
मगर गुमनाम भी हमें बताया न कीजिए,,
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