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गिले-शिकवे कब नहीं थे,
बीच मेरे तुम्हारे।
इस बार सारे फैसले
गलत निकले हमारे।
फासले बढ़ते गए
दरमियाँ मेरे तुम्हारे।
घर उजाड़ दिया
कुछ गलतफहमियों ने हमारे।
बीच मेरे तुम्हारे।
इस बार सारे फैसले
गलत निकले हमारे।
फासले बढ़ते गए
दरमियाँ मेरे तुम्हारे।
घर उजाड़ दिया
कुछ गलतफहमियों ने हमारे।
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