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दोस्त है कुछ मेरे,
पहले रोज मिला करते थे ।
घंटो बे मतलब की बाते,
हमलोग किया करते थे।
वक्त का पता नही लगता था उनके साथ में। आधी रात बीत जाती थी बातों ही बातों में।
फिर बढ़ती उम्र के साथ कुछ मजबूरियां आयी । हम दोस्तो के बीच उसने दीवारे बनाई।
अब किसी से मिले दिन, किसी से महीनों तो
किसी से मिले सालो बीत जाते है।
दोस्त मेरे कमीने दोस्त बहुत याद आते है।
पहले रोज मिला करते थे ।
घंटो बे मतलब की बाते,
हमलोग किया करते थे।
वक्त का पता नही लगता था उनके साथ में। आधी रात बीत जाती थी बातों ही बातों में।
फिर बढ़ती उम्र के साथ कुछ मजबूरियां आयी । हम दोस्तो के बीच उसने दीवारे बनाई।
अब किसी से मिले दिन, किसी से महीनों तो
किसी से मिले सालो बीत जाते है।
दोस्त मेरे कमीने दोस्त बहुत याद आते है।
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