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हाँ मैं स्त्री हूँ
तो क्या करूँ ?
देती रहूँ आहुतियाँ
इच्छाओं के धूप को ,
हवन कुंड में फेंक फेंक
अग्नि जलाती रहूँ
और औरत कहलाती रहूँ?
खुश हो न?
मैं हमेशा त्यागती जो हूँ!
बेचारी के रूप में देखना
कितना पसंद तुम पुरुषों को
बेचारी अबला नारी
दस के झुंड में तुम जो चलो तो यारियां कहलायेंगी ,
दूर से ही लोगों को
तुम्हारी पक्की दोस्ती दिख जायेगी
जो हम दस के झुंड में चलें
तो बददिमागी वाली बात !
कैसी बेशर्म औरतें ,
मिलेंगी ये सौगात
तुमको आजादी कि तुम मित्रों में
महिलाओं का चुनाव कर सकते
सिर्फ इसलिए क्योंकि तुम पुरुष हो??
और हम औरतें
हम कैसे किसी पुरुष को मित्र बना सकते
भले ही कितना पवित्र क्यों न हो
हमारा रिश्ता , हम कैसे समझा सकतें
महिला का पुरुष मित्र
ये बात ही पचा न पाओगे
तुम पुरुष हो मुझ पर लांछन लगाओगे
मुझ पर लांछन लगाओगे
~ लक्ष्मी
तो क्या करूँ ?
देती रहूँ आहुतियाँ
इच्छाओं के धूप को ,
हवन कुंड में फेंक फेंक
अग्नि जलाती रहूँ
और औरत कहलाती रहूँ?
खुश हो न?
मैं हमेशा त्यागती जो हूँ!
बेचारी के रूप में देखना
कितना पसंद तुम पुरुषों को
बेचारी अबला नारी
दस के झुंड में तुम जो चलो तो यारियां कहलायेंगी ,
दूर से ही लोगों को
तुम्हारी पक्की दोस्ती दिख जायेगी
जो हम दस के झुंड में चलें
तो बददिमागी वाली बात !
कैसी बेशर्म औरतें ,
मिलेंगी ये सौगात
तुमको आजादी कि तुम मित्रों में
महिलाओं का चुनाव कर सकते
सिर्फ इसलिए क्योंकि तुम पुरुष हो??
और हम औरतें
हम कैसे किसी पुरुष को मित्र बना सकते
भले ही कितना पवित्र क्यों न हो
हमारा रिश्ता , हम कैसे समझा सकतें
महिला का पुरुष मित्र
ये बात ही पचा न पाओगे
तुम पुरुष हो मुझ पर लांछन लगाओगे
मुझ पर लांछन लगाओगे
~ लक्ष्मी
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