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एक उम्र बीती ही तेरे इंतेज़ार में,
आफताब से पूछो कितने राते बिताए है साथ मे।
इस दिल का भी क्या करूँ,
हर रोज़ चलता है तेरे ख्याल में।
कसूर तेरे औलाद का भी नही,
जो पेल दिया मुझे सरेआम बाजार में।
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