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जब तक बनना ब्रांड नहीं
तब तक करना बंद नहीं
चाहे जितना पा लेना
लालच और घमंड नहीं
हनुमान सुग्रीव मिलेंगे
पथ हमको चलना होगा
सागर जैसे लहरें
सूरज जैसे तपना होगा
बस कसमें मन में मत लाना
रस्म निभाना रण की
जीत तुम्हारी तय है लेकिन
इज़्जत करना कण की
चाहें हैं जो पाना हैं
तो हद से जाना होगा
इन छोटी सी आखों में
सपने तो पाना होगा
जब तक कुछ दिखलाओ ना
मैफिल को यार पसंद नही
जब तक बनना ब्रांड नहीं
तब तक करना बंद नहीं
शुभम सरल
तब तक करना बंद नहीं
चाहे जितना पा लेना
लालच और घमंड नहीं
हनुमान सुग्रीव मिलेंगे
पथ हमको चलना होगा
सागर जैसे लहरें
सूरज जैसे तपना होगा
बस कसमें मन में मत लाना
रस्म निभाना रण की
जीत तुम्हारी तय है लेकिन
इज़्जत करना कण की
चाहें हैं जो पाना हैं
तो हद से जाना होगा
इन छोटी सी आखों में
सपने तो पाना होगा
जब तक कुछ दिखलाओ ना
मैफिल को यार पसंद नही
जब तक बनना ब्रांड नहीं
तब तक करना बंद नहीं
शुभम सरल
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