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गज़ल • जख़्मी परिंदे

kavianilthakrekavianilthakre February 22, 2023
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ज़ख्मी परिंदों को दाना किस लिए 
जाने वालों को बुलाना किस लिए

जिंदा और मुर्दा फिर परखना क्या 
ठुकराए को आजमाना किस लिए

मयखाने की रात और पिया जाना
फिर ये बहस और बहाना किस लिए

सलीका और हुनर दिल तोड़े जाने का 
नजदीक से गुजरे को बताना किस लिए

कुंडली को जोड़ा जाना था हमारी भी 
जोड़े गए हाथ तो पछताना किस लिए

जो कल तक हम राही बन रहा था
अब हो गई भाभी तो शर्माना किस लिए।

~ अनिल ठाकरे 

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