Share0 Bookmarks 31643 Reads1 Likes
जब आँखें नहीं आत्मा रोती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह बारिश से नहीं आँसुओं से
दामन भिगोती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह किसी कारण बहुत खुश होती है
हंसती है मुस्कुराती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह समाज की विषमता से परेशान होती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह दुःख के पहाड़ को ढोती है
तब वह दर्द को शब्दों का जामा पहनाकर
धीरे धीरे अर्थ की गहराई में जाकर ...
लक्षणा और व्यंजना शक्ति का सहारा लेती है
तब वह कवि
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments