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कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में ,
नयन ज्योति सा चमक रही ,
मुखरा जैसे चांद टुकड़ा ,
प्यारा सा , शीतलता सा ,
हमें कोमलता से सुलाए चले ।
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कृष्ण पक्ष की अंधेरी रातों में ,
नयन ज्योति सा चमक रही ,
मुखरा जैसे चांद टुकड़ा ,
प्यारा सा , शीतलता सा ,
हमें कोमलता से सुलाए चले ।
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