
एक लड़की जमीन मरी हुई है उससे मेरे (कवि) के द्वारा पूछा जा रहा कि तुम इस दुर्दशा का शिकार हुई कैसे लड़की सारा वृत्तांत सुनाती है ...
कवि -
सांसो को क्यों रोके है
बोल न धरा पर क्यों लेटे है
क्या हुआ तुझे जो चुप्पी मारे बैठी है
जो इस जगत की चकाचौध को छोड़
यहाँ शांति में खोये बैठी है
न कोई सगा सम्बन्धी
न कोई घर ही आस पास दिख रहा
तो तू क्यों इस घनघोर जंगल में
सफेद चादर ओढ़ो लेटी है -2
बोल न तेरी ये दशा हुई कैसे
जिसके कारण मुँह को मोड लेटी है
क्या नाम है तेरा ?
कहाँ से तू आयी है ?
क्या वो भी सब भुलाये बैठी है
ये तन पर कैसे निशान देख रहे
क्या तूने इसे खुद छपवाये है
या फिर किसी और तरह से आये है
इतनी छोटी उम्र में ही
तू यहाँ कैसे आई है
क्या रास्ता भूल गयी
या ये तेरी अंतिम विदाई है ।
लड़की -
सुन ये अजनबी क्यों धरा पर लेटी हूँ
कैसे हुई दशा मेरी तुझे आज सारी व्यर्था बताउगी
सांसो को रोक नही सांसो को ही खो बैठी हूँ
इसीलिए इस चकाचौध भरे जीवन से मुह मोड़ बैठी हूँ मैं तो नटखट बटिया थी अपने पिता की -2
जो घर को मनसायन किये रहती थी
अभी तो बचपना भरा था मुझ में कूट कूट के -2
तो फिर भला कैसे शांत हो सकता थी ।
तू जानना चाहता था न क्यों
कोई सगा सम्बंधी नही दिख रहा
तो सुन ये अजनबी
जहां को मैं जा रही
यहाँ न सगा न सम्बन्धी साथ जाता
ये जीवन की अंतिम विदाई है
जो तू देख रहा सफ़ेद चादर ओढ़ो
वो सफ़ेद चा
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