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मुश्किलों से हारकर

न बैठ मन को मारकर

बुज़दिली उतारकर

कदम-कदम संभालकर

न सोच तूँ करेगा कल

चला तूँ चल चला तूँ चल


आँधियों से तूँ न डर

बाज-सा तूँ हो निडर

मुट्ठियों को भींचकर

अपने दम पे कर सफ़र

इक लक्ष्य पे हो अटल

चला तूँ चल चला तूँ चल


काँटें पैरों  पे चुभेंगें

लोग जाने क्या कहेंगें

कान तेरे फिर भरेंगें

साथ तेरे  न रहेंगें

तुमको बोलें कमअक्ल

चला तूँ चल चला तूँ चल


मंजिलों से रू-ब-रू

ख़ुद-ब-ख़ुद होगा तूँ

बना ले तूँ जो आरजू

कीर्ति होगी कू-ब-कू

होगा रोशन तेरा कल

चला तूँ चल चला तूँ चल


अनिल कुमार निश्छल

हमीरपुर उत्तरप्रदेश

बुंदेलखंड


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