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मुश्किलों से हारकर
न बैठ मन को मारकर
बुज़दिली उतारकर
कदम-कदम संभालकर
न सोच तूँ करेगा कल
चला तूँ चल चला तूँ चल
आँधियों से तूँ न डर
बाज-सा तूँ हो निडर
मुट्ठियों को भींचकर
अपने दम पे कर सफ़र
इक लक्ष्य पे हो अटल
चला तूँ चल चला तूँ चल
काँटें पैरों पे चुभेंगें
लोग जाने क्या
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