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कुछ इस तरह से, जिंदगी को पिरोए है हमनें खुली आँखों को, कई सपन दिखाएं है हमनें मन के अँधेरों में, वो रौशनी बन के आई बरसों से जिसको, पलकों पर सजाएं है हम
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कुछ इस तरह से, जिंदगी को पिरोए है हमनें खुली आँखों को, कई सपन दिखाएं है हमनें मन के अँधेरों में, वो रौशनी बन के आई बरसों से जिसको, पलकों पर सजाएं है हम
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