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जिंदगी एक सासों का खेला हैं
सांस टूटते ही आदमी अकेला है
यहां नहीं रहता साथ कोई किसी के
मरते ही जनाजे में लोगो का मेला है
कोई कैसे समझे इस जहां को
ये तो ओढ़े एक परत का चोला हैं
और मिटा दे मेरी हैसियत ये जिंदगी
मैने दफ्न- ए- दिल का राज खोला है
दस्तूर- ए- दुनिया में किसी को ज्यादा
तो किसी को कुछ भी नहीं मिला है
उड़ता रहा हदो को तोड़कर "कयाम"
जब मरा तो नाप के कब्र भी मिला है
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