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दौर- ए- सियासत में बगावत नहीं होता
लब सब के सिले है हिफाजत नहीं होता
इस दौर में बिकने के लिए खड़े है सभी
यहां किसी को वतन से मोहब्बत नहीं होता
उचे ऊचे दरबारो में आला आला लोग पड़े हैं
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