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"अल्लाह का करम"
बे रंग बे सबाती ये गुलिस्तां बनाया
ख़ुदा ने क्या सोच कर ये इश्क़ बनाया
बिखरती है ख़ाक या रब शामो- शहर
जहां में किसके दिल में याकदा बनाया
एक रंग के लिए नहीं इश्क़ के रंग में ये जहां बनाया
इश्क़ में जहां और दिल में मकां बनाया
कहने को लोग तो कहते है कि इश्क़ मैंने किया
लेकिन सच्चा इश्क़ तो अल्लाह ने बंदो से किया।।
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