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वक़्त भी अजीब है

Krupa ShahKrupa Shah June 16, 2020
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वक़्त भी अजीब है,

पेहचान करा देता है

अपनों की और गैरो की.


कुछ मुश्किल वक़्त मैं

हाथ पकड़ कर रखते हैं

और कुछ साथ छोड़ देते हैं.


जानती थी मैं किसी को 

जो मुकर गया था अपने वादों से

जैसे ही चंद खुशियों के लम्हो ने

उसके दरवाज़े पर दस्तक दी थी.


जानती थी मैं किसी को

जिसने साथ छोड़ दिया था उसका

जो शायद अपने भी हिस्से की 

खुशियों की हांड़ी लेकर आयी थी.


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