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कहना तो
बहुत आज भी हैं,
बातें तो
बहुत सारी करनी है
पर
कौन से हक से बयान करू
सारे जस्बात,
जब तुम्हे इस दुरी का एहसास तक नहीं है.
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बहुत आज भी हैं,
बातें तो
बहुत सारी करनी है
पर
कौन से हक से बयान करू
सारे जस्बात,
जब तुम्हे इस दुरी का एहसास तक नहीं है.
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