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वोह शक़्स
आज भी जहन में,
ना जाने क्यों
रोज आता हैं,
कभी प्यारा सा
ख्वाब बनके,
तोह कभी
कड़वी सच्चाई बनके,
वक़्त ने
तुझे तो भुला दिया,
पर तेरे दिए हुए सब ज़ख्म
आज भी याद हैं मुझे,
दुआ करूंगी की तू खुश रहे,
रहे आबाद जहाँ भी रहे
पर मुझे दिए हुए वोह
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