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जब मनुष्य असंतुष्टता से बिलखता है,
तब–तब उसमें अहंकार पनपता है।
आज उसके अभिमान को निराश कर दूं,
मैं उस अहंकार का नाश कर दूं।
जिसने दुसरो के हृदय को ठेस दे कर,
अपना सम्मान बढ़ाया, दुसरो का झुकाया शिखर।
उसके अतिविश्वास को अविश्वास कर दूं,
मैं उस अहंकार का नाश कर दूं।
मित्रों में भी भर गया है अकड़ का घड़ा,
वह भी मौका पाने पर मुझपर टूट पड़ा।
आज उसको मैं हताश कर दूं,
मैं उस अहंकार का नाश कर दूं।
इतना अहंकार जताकर, कमज़ोरी अपनी दिखाता जो।
दुसरो का मज़ाक उड़ा, अपना ही मज़
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