
Share0 Bookmarks 90 Reads3 Likes
भरी दोपहरी में हुई है रात काली क्या करूँ |
सूने कोने में बैठा हूँ सोचता हूँ क्या करूँ |
दिल बुद्धि और मन पर छाई उदासी क्या करूँ |
कल अँधेरे में दिखता आज फिर में क्या करूँ |
है शोरगुल चारों तरफ ये मन अकेला क्या करे |
भरे तूफाँ की आँख में है ये खामोशी क्या करूँ|
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments