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भरी दोपहरी में हुई है रात काली क्या करूँ | No posts
सूने कोने में बैठा हूँ सोचता हूँ क्या करूँ |
दिल बुद्धि और मन पर छाई उदासी क्या करूँ |
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सूने कोने में बैठा हूँ सोचता हूँ क्या करूँ |
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