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ताक़-ए-आँख पर सजा रखें थे..

Kiran K.Kiran K. October 28, 2021
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ताक़-ए-आँख पर 

सजा रखें थे तुम्हारे ख़्वाब

आज ये आँसू बनकर

चश्म-ए-एहसास से

दामन में बिखर गए..

किसी खिलौने के टूटने पर

बचपन में रोती थी

ठीक उसी तरह ये दिल

पाँव पटककर रो रहा हैं..


-किरण के. ✍️




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