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ताक़-ए-आँख पर
सजा रखें थे तुम्हारे ख़्वाब
आज ये आँसू बनकर
चश्म-ए-एहसास से
दामन में बिखर गए..
किसी खिलौने के टूटने पर
बचपन में रोती थी
ठीक उसी तरह ये दिल
पाँव पटककर रो रहा हैं..
-किरण के. ✍️
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