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जब हद से बढ़ने लगें
हिज्र का ग़म
तुम पढ़ लेना मेरी नज्में
तुम्हें हासिल हो जाएगी सुकूनत
मेरी नज्मों के हर हर्फ़ में...
मैंने छुआ हैं हर लफ़्ज
अपनी सुर्ख पलकों से..
दर्द में मिल जाएगा
तुम्हे भी आराम
मेरे नज्मों की खुशबू से..
जब हद से बढ़ने लगें
हिज्र का ग़म
तुम पढ़ लेना मेरी नज्में..!!
-किरण के.
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