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घण्टो तकती रहती हूँ मैं
तुम्हारे अधखुले नयनों को
और सोचती रहती हूँ,
क्या ये वही शांति है..?
जिसे पाने के लिए तुम
घर छोड़कर गए थे
और मुझे बस तुम्हे
देखने भर से मिल रही है
ना..इतना आसान भी नही
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