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फ़िराक़-ए-यार में आलम न पूछो बेक़रारी का
कि बिस्तर की हर एक सिलवट में बू-ए-वस्ल है अब भी
-किरण के.
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कि बिस्तर की हर एक सिलवट में बू-ए-वस्ल है अब भी
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