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कविता - युगल
 कवि - जोत्सना जरीक


 .
 वो नीली नदी
 पास मत जाओ
 धीरे-धीरे नीला हो जाना
 सफेद हो जाएगा।
 मेरा खून गुलाब
 इस तरह   बदलते दिन
 उस रंग को मत बदलो

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