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कविता: गर्मजोशी

 कवि: जोत्सना जरी


 .

 रिश्तों की ठंडक से

 पक्षी घोंसला तोड़ता है

 नदी में

 कुछ भूसा तैरता है।

 .

 अगर तुम मीठी मुस्कान

 फूल खिले

 जीवन थरथराता है।

 .

 अगर मैं मिलूं

 कलबोशेख हर दिन

 साफ समय मिट जाएगा

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