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दीवाना खो गया है महबूब की गली में

Khalid NadeemKhalid Nadeem December 20, 2021
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रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में ।

हम यूँ भटक रहे हैं सहरा-ए-जिंदगी में ।।


तुम तैर कर तो देखो सूखी हुई नदी में ।

फर्क़ आएगा समझ में खुश्की में और तरी में ।।


शौक़-ए-तलब की शायद मेराज हो गई है ।

दीवाना खो गया है महबूब की गली में ।।


फूलों की खुशबूओं से महरूम है जो अब तक ।

वह शाख़ आ गई है एहसास-ए-कमतरी में ।।


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