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दस्तक सी दी है
याद ने
सोचती हूं
कि लौटा दूं
फ़िर कभी न
आने दूं
पर क्या करूं
याद है
कि मानती नहीं
बस ठेलकर सब
मनमुटाव
चली आती है
तीर सी
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दस्तक सी दी है
याद ने
सोचती हूं
कि लौटा दूं
फ़िर कभी न
आने दूं
पर क्या करूं
याद है
कि मानती नहीं
बस ठेलकर सब
मनमुटाव
चली आती है
तीर सी
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