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एक वही मलाल,एक वही सवाल....
जाते जाते भी अलविदा ना कह पाने का मलाल..
अंदर ही अंदर चुप करके बैठे हैं! ना समझ सके लोग ,ना समझा सके अपना हाल...
बीते है महज कुछ दिन, अभी बीतेगे ना जाने कितने साल...
पूछ तो लेगे तुमसे पर ! कह ना सकेगे अपना हाल...
वक़्त ने किया कुछ या किस्मत का रहा अपनी कमाल....
जाते जाते भी अलविदा ना कह पाने का मलाल..
अंदर ही अंदर चुप करके बैठे हैं! ना समझ सके लोग ,ना समझा सके अपना हाल...
बीते है महज कुछ दिन, अभी बीतेगे ना जाने कितने साल...
पूछ तो लेगे तुमसे पर ! कह ना सकेगे अपना हाल...
वक़्त ने किया कुछ या किस्मत का रहा अपनी कमाल....
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