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बौराया बादल अथक रूप में दिन-रात झरी लगाता है,
आसमान में तड़ित जब अपना रौद्र रूप दिखलाता है,
घने अरण्य की हरियाली तब,
घूँघट से निकल कर मंद-मंद मुस्काती है,
सावन का गीत सुनाती है।
तपता सूरज जब घटाओं की ओट में आता है,
उम्मीद से चेहरा सहसा ही ऊपर उठ जाता है,
रिमझिम-रिमझिम बारिश की बूंदें
धरती पर आतीं हैं जब,
प्यासी मिट्टी अपनी प्यास बुझाती है,
सावन का गीत सुनाती है।
हरी साड़ियाँ सौंदर्य से आलिंगन कर जब सम्मुख आती हैं,
हरी चूड़ियाँ कलाईयों में सज,छन-छन ध्वनि सुनाती हैं,
कोमल हथेलियों पर
हरियाली सुन्दर रचना बन जाती है तब,
मेंहदी भी अपना रंग दिखाती है,
सावन का गीत सुनाती है।।
~राजीव नयन
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