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बौराया बादल अथक रूप में दिन-रात झरी लगाता है,
आसमान में तड़ित जब अपना रौद्र रूप दिखलाता है,
घने अरण्य की हरियाली तब,
घूँघट से निकल कर मंद-मंद मुस्काती है,
सावन का गीत सुनाती है।
तपता सूरज जब घटाओं की ओट में आता है,
उम्मीद से चेहरा सहसा ही ऊपर उठ जाता है,
रिमझिम-रिमझिम बारिश की बूंदें
धरती पर आतीं ह
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