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तस्वीर वो पुरानी हो गई पर मुझे नयी- नयी ही लगती है
कहानी बन रुक गई थी जो, वो मेरे आँखो के सामने रोज़ ही गुजरती है
लोग कहते है क्यों इतना पीछे मुड़कर देखते हो?
उन्हें कैसे बताऊँ कि मेरी ज़िन्दगी उन बीते लम्हों में ही पहुँच कर ठहरती है।।
~राजीव नयन
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