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जुगनुओं का भी नहीं बसेरा है,
अभी दूर बहुत सवेरा है,
कोई तो रोशनी दिखाओ
न जाने क्युँ इतना अंँधेरा है?
दाँयें हाथ को
बाँये की नहीं ख़बर है,
रूठी हुई नज़र है,
लग रहा है मानो
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जुगनुओं का भी नहीं बसेरा है,
अभी दूर बहुत सवेरा है,
कोई तो रोशनी दिखाओ
न जाने क्युँ इतना अंँधेरा है?
दाँयें हाथ को
बाँये की नहीं ख़बर है,
रूठी हुई नज़र है,
लग रहा है मानो
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