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जीत क्या है?हार क्या है?
कर्म को स्वीकार लो,
प्रेम ही निदान है
कृष्ण को पुकार लो।
दर्द का भी गहरा है ज़िंदगी से वास्ता,
तपती धरा मिले या हिम का हो रास्ता,
छल रहा हो ज़िन्दगी,दूर चाहे हो खुशी
घृणा के चरम को मस्तक से उतार लो,
प्रेम ही निदान है
कृष्ण को पुकार लो।
किस जो
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