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बहते पानी को हथेली से रोक कर
कहते हो- पानी को पहचानता हूँ!
हृदय में पत्थर सजाकर
कहते हो- दिल से मानता हूँ!
ज़िन्दगी रोज़ सिखाती है,औ॑
कहते हो- सब कुछ जानता हूँ!
~राजीव नयन
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बहते पानी को हथेली से रोक कर
कहते हो- पानी को पहचानता हूँ!
हृदय में पत्थर सजाकर
कहते हो- दिल से मानता हूँ!
ज़िन्दगी रोज़ सिखाती है,औ॑
कहते हो- सब कुछ जानता हूँ!
~राजीव नयन
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