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अपनी चौखट,अपना घर
अपना आँगन,अपना डर
रोज़ दौड़ना है,
मुश्किल से जोड़ना है,
न जाने कितने
पत्थरों को तोड़ना है?
सुकून के पल
आज या शायद कल!
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अपनी चौखट,अपना घर
अपना आँगन,अपना डर
रोज़ दौड़ना है,
मुश्किल से जोड़ना है,
न जाने कितने
पत्थरों को तोड़ना है?
सुकून के पल
आज या शायद कल!
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