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मेरे स्पर्श को तुम
मेरा नमन समझ लेना,
ऐ पेड़!
मेरे मन को तुम
अपना ही मन समझ लेना।
तेरी पत्तियों और पुष्पों की
कोमलता का कायल हूँ मैं,
तेरी टूटी टहनियों को देखकर
होता घायल हूँ मैं,
जब
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