
Share0 Bookmarks 29 Reads1 Likes
फक़त आरजू रखना मेरी...
और न कोई जुस्तजू करना...
इश्क मुक्कमल ये होगा नहीं. ...
फ़ासले कुछ इस तरह दरमियां रखना..
मैं बेखबर रहूं तुम से यूं...
जैसे सेहरा से बहार रहतीं हैं....
तुम उम्र भर साथ रहोगे मुझ में...
के फिर भी ये साथ न मुक्कमल होगा...
फक़त आरजू रखना मेरी...
और न कोई जुस्तजू करना...
मैं जलती हुई आग से राख हो जाऊंगा...
तुम मेरे पतंगों को फिज़ा सा उड़ा देना...
क्या हुआ जो मिले नहीं हम...
के फिर भी ख्यालों में तुम मुझे ही हमसफर रखना..
फक़त आरजू रखना मेरी...
और न कोई जुस्तजू करना...
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments