याचना नहीं, अब रण होगा... दिनकर's image
4 min read

याचना नहीं, अब रण होगा... दिनकर

KavishalaKavishala June 16, 2020
Share0 Bookmarks 212619 Reads1 Likes
अच्छे लगते मार्क्स, किंतु है अधिक प्रेम गांधी से. प्रिय है शीतल पवन, प्रेरणा लेता हूं आंधी से.


राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की आज पुण्यतिथि है. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. दिनकर एक ऐसे कवि थे जो सत्ता के करीब रहते हुए भी जनता के दिलों में रहे. देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया है. यहीं नहीं देश की हार जीत और हर कठिन परिस्थिति को दिनकर ने अपनी कविताओं में उतारा है. एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है. दिनकर की कविताओं का जादू आज भी उतना ही कायम है. दिनकर किसी एक विचारधारा का समर्थन नहीं करते थे.

अपनी प्रारंभिक कविताओं में क्रांति का उद्घोष करके युवकों में राष्ट्रीयता व देशप्रेम की भावनाओं का ज्वार उठाने वाले दिनकर आगे चलकर राष्ट्रीयता का विसर्जन कर अंतरराष्ट्रीयता की भावना के विकास पर बल देते हैं. सत्ता के करीब होने के बावजूद भी दिनकर कभी जनता से दूर नहीं हुए. जनता के बीच उनकी लोकप्रियता हमेशा बनी रही. दिनकर पर हरिवंश राय बच्चन का कहना था, ‘दिनकर जी को एक नहीं बल्कि गद्य, पद्य, भाषा और हिंदी के सेवा के लिए अलग-अलग चार ज्ञानपीठ मिलने चाहिए थे'

कुछ ऐसा था रामधारी सिंह दिनकर का जीवन 


रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार राज्य में पड़ने वाले बेगूस

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts