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जब सजी बसंती बाने में
बहनें जौहर गाती होंगी
क़ातिल की तोपें उधर
इधर नवयुवकों की छाती होगी
तब समझूँगा आया वसंत।
जब पतझड़ पत्तों-सी विनष्ट
बलिदानों की टोली होगी
जब नव विकसित कोंपल कर में
कुंकुम होगा, रोली होगी
तब समझूँगा आया वसंत।
युग-युग से पीड़ित मानवता
सुख की साँसे भरती होगी
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