हास्य कविताPoetry2 min read
रंगीन सपनों का रजिस्ट्रेशन: प्रेम किशोर 'पटाखा' | हास्य कविता
January 27, 2023Share0 Bookmarks 39115 Reads0 Likes
कुछ होते हैं सपने रंगीन
तो कुछ हसीन
कुछ सपने देखते नहीं
दिखाते हैं
सपनों ही सपनों में
आपको झुलाते हैं।
मंच पर आते ही वे
फूल मालाओं से लद गए
आगे-पीछे दाएं- बाएं
चमचों से बंध गए
चमचों ने आपको
कंधों पर उठाकर
जय-जयकार का नारा लगाया
उन्होंने आपको अपने
रंगीन सपनों में झुलाया
भोली जनता
उनके हसीन सपनों पर
फिदा हो गई
नेता जी के साथ
चमचों की भीड़ विदा हो गई
देवलोक में
मुनिवर नारद आपकी वीणा के तार
झनझना रहे हैं
भक्तों को रंगीन सपनों से रिझा रहे हैं
उधर जो लंबी लाइन
धरती से उठकर
आकाश की ओर आ रही है
बढ़ती हुई महंगाई का
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