रंगीन सपनों का रजिस्ट्रेशन: प्रेम किशोर 'पटाखा' | हास्य कविता's image
हास्य कविताPoetry2 min read

रंगीन सपनों का रजिस्ट्रेशन: प्रेम किशोर 'पटाखा' | हास्य कविता

KavishalaKavishala January 27, 2023
Share0 Bookmarks 260 Reads0 Likes

कुछ होते हैं सपने रंगीन 

तो कुछ हसीन 

कुछ सपने देखते नहीं 

दिखाते हैं

सपनों ही सपनों में 

आपको झुलाते हैं। 


मंच पर आते ही वे 

फूल मालाओं से लद गए 

आगे-पीछे दाएं- बाएं 

चमचों से बंध गए 

चमचों ने आपको 

कंधों पर उठाकर 

जय-जयकार का नारा लगाया 

उन्होंने आपको अपने 

रंगीन सपनों में झुलाया 


भोली जनता 

उनके हसीन सपनों पर 

फिदा हो गई 

नेता जी के साथ 

चमचों की भीड़ विदा हो गई 

देवलोक में 

मुनिवर नारद आपकी वीणा के तार 

झनझना रहे हैं 

भक्तों को रंगीन सपनों से रिझा रहे हैं 


उधर जो लंबी लाइन 

धरती से उठकर 

आकाश की ओर आ रही है 

बढ़ती हुई महंगाई का 

चरित्र बता रही है 

महंगाई की सीढ़ियों पर चढ़कर 

एक हसीन सपना 

चांद पर जा रहा है 

सपने में चांद रोटी की तरह 

नज़र आ रहा है 

सपने के हाथ में 

लकड़ी का पुल है 

भीड़ बड़ी हाउसफुल है 

आवाज़ आई 

''यह लकड़ी का पुल 

साहब की मेज पर टिकाना है 

फाइल बंद पड़ी है 

उसी को चलाना है 

फाइल खुल गई है 

पुल बन जाएगा 

नहीं तो लकड़ी का चौखटा 

पोल में जाएगा 

आपकी तारीफ़ ?

'' कविताएं करते हैं''

कल्पनाओं में कहते हैं 

आपके पास कोई सपना है हसीन ?''


- यहां तो सपनों की है मशीन

सपना ही सुनते हैं 

सपना ही बुनते हैं 

- देश में बढ़ती हुई आबादी का 

कोई समाधान बताइए 

- रंगीन सपनों में खो जाइए।।



No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts