
तुम साँसों से नापते हो इसे
मैं ज़िन्दगी, दोस्तों में गिनता हूँ
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छत टपकती है उसके
कच्चे घर की ,
वो किसान फिर भी बारिश की
दुआ माँगता है....
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मेरे पास एक नदी थी.
मेरे पास एक नदी थी, एक पेड़ था,
एक छोटा पहाड़ था...
मैं खिलौनों की दुकानों से
वाकिफ नहीं था...
मैंने संभालकर रखे हैं,
कुछ पुराने खत और लिफाफे...
कल बच्चे ये न पूछ लें,
डाकिया कौन था...
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सच बोलने से...
सच बोलने से अब डरने लगा है...
वो बच्चा बड़ों-सी बातें करने लगा है...
उन मुस्कुराती तस्वीरों ने दीवारों के...
जाने कितने जख्म छुपा रखे हैं...
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तह की हुई...
तह की हुई कमीजों के नीचे,
एक तस्वीर दबा रखी है...
कुछ बातें ऐसी हैं,
जो सबसे छुपा रखी हैं...
उसे भूलने की आदत थी...
मुझे यह याद न रहा...
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उसने सुबह उठकर...
उसने सुबह उठकर खाली स्कूटर बड़ी
देर तक हिलाया... बच्चे समझदार थे,
स्कूल पैदल निकल गए...
जब हाथ आसमां तक नहीं पहुंचते
मैं पैर, बुजुर्गों के छू लेता हूं...
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बहुत दिन हुए हम...
बहुत दिन हुए हम तीनों साथ नहीं मिले...
तुम, मैं और वक्त...
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